क़यामत (महाप्रलय) पर ईमान
हमारा ईमान आख़िरत के दिन पर है।
वह क़यामत का दिन है। उसके पश्चात कोई दिन नहीं। उस दिन अल्लाह तआला लोगों को दोबारा जीवित करके उठायेगा। फिर या तो वे सदैव के लिए स्वर्ग में रहेंगे, जहाँ अच्छी-अच्छी चीज़ें होंगी या नरक में, जहाँ कठोर यातनायें होंगी।
हमारा ईमान मृत्यु के पश्चात मुर्दों को जीवित किये जाने पर है।
अर्थात इस्राफ़ील अलैहिस्सलाम जब दोबारा सूर फूकेंगे, तो अल्लाह तआला तमाम मुर्दों को जीवित कर देगा।
“तथा जब नरसिंघा में फूँक मारी जायेगी, तो जो लोग आकाशों एवं धरती में हैं, सब बेहोश होकर गिर पड़ेंगे, परन्तु वह जिसे अल्लाह चाहे, फिर पुनः नरसिंघा में फूँक मारी जायेगी, तो सब तुरन्त खड़े होकर देखने लग जायेंगे।”
सूरह अज़्-ज़ुमरः 68
अब लोग अपनी-अपनी क़ब्रों से उठकर संसार के प्रभु की ओर जायेंगे। उस समय वह नंगे पाँव बिना जूतों के, नंगे बदन बिना कपड़ों के एवं बिना ख़तनों के होंगे
“जिस प्रकार हमने (संसार को) पहले पैदा किया था, उसी प्रकार दोबारा पैदा कर देंगे। यह हमारा वादा है, हम ऐसा अवश्य करने वाले हैं।”
सूरह अल्-अम्बियाः 104
और हमारा ईमान नामए-आमाल (कर्मपत्र) पर भी है कि वह दायें हाथ में दिया जायेगा या पीछे की ओर से बायें हाथ में।
“तो जिसका कर्मपत्र उसके दायें हाथ में दिया जायेगा, उससे सरल ह़िसाब लिया जायेगा तथा वह अपने घर वालों में प्रसन्न होकर लौटेगा। तथा जिसका कर्मपत्र पीठ के पीछे से दिया जायेगा, वह मृत्यु को पुकारेगा तथा भड़कती हुई आग में डाल दिया जायेगा।”
सूरह अल्-इन्शिक़ाक़ः 7-12
“तथा हमने हरेक मनुष्य के भाग्य को उसके गले में डाल दिया है तथा महाप्रलय के दिन हम उसके कर्मपत्र को निकालेंगे, जिसे वह अपने ऊपर खुला हुआ देखेगा। लो, स्वयं ही अपना कर्मपत्र पढ़ लो। आज तो तूम स्वयं ही अपना निर्णय करने को काफ़ी हो।”
सूरह अल्-इस्राः 13-14
तथा हम तुले (मवाज़ीन) पर भी ईमान रखते हैं, जो क़यामत के दिन स्थापित किये जायेंगे। फिर किसी पर कोई अत्याचार नहीं होगा।
“तो जिसने कण भर भी नेकी की होगी, वह उसको देख लेगा तथा जिसने कण भर भी बुराई की होगी, वह उसे देख लेगा।”
सूरह अज़्-ज़ल्ज़लाः 7-8
सूरह अल्-मोमिनूनः 102-104
“जिनके तराज़ू का पलड़ा भारी हो गया, वे तो नजात पाने वाले हो गये। तथा जिनके तराज़ू का पल्ड़ा हल्का रह गया, ये हैं वे, जिन्होंने अपनी हानि स्वयं कर ली, जो सदैव के लिए नरक में चले गये। उनके मुखों को आग झुलसाती रहेगी। वे वहाँ कुरूप बने हुए होंगे।”
“जो व्यक्ति पुण्य का कार्य करेगा, उसे उसके दस गुना मिलेंगे। तथा जो कुकर्म करेगा, उसे उसके समान दण्ड मिलेगा, तथा उन लोगों पर अत्यताचार न होगा।”
सूरह अल्-अन्आमः 160
हम सुमहान अभिस्ताव (शफ़ाअते उज़्मा) पर ईमान रखते हैं
जो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लिए ख़ास है। जब लोग असहनीय दुःख एवं कष्ट में ग्रस्त होंगे, तो पहले आदम अलैहिस्सलाम के पास, फिर नूह़ अलैहिस्सलाम के पास, फिर इब्राहीम अलैहिस्सलाम के पास, फिर मूसा अलैहिस्सलाम के पास, फिर ईसा अलैहिस्सलाम के पास और अन्त में मूह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास जायेंगे, तो आप अल्लाह की आज्ञा से उसके समक्ष सिफ़ारिश करेंगे, ताकि वह अपने बन्दों के दरमियान फ़ैस्ला कर दे
और हमारा ईमान है कि मोमिन अपने गुनाहों के कारण नरक में प्रवेश कर जायेंगे, तो वहाँ से उन्हें निकालने के लिए भी अभिस्ताव होगा तथा उसका सम्मान नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आपके अतिरिक्त अन्यों (जैसे अम्बिया, ईमान वालों एवं फ़रिश्तों) को भी प्राप्त होगा।
और हमारा ईमान है कि अल्लाह तआला मोमिनों में से कुछ लोगों को बिना अभिस्ताव के केवल अपनी दया एवं अनुकम्पा के आधार पर नरक से निकालेगा।
हम प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ह़ौज़ पर भी ईमान रखते हैं।
उसका पानी दूध से बढ़कर सफ़ेद, शहद से ज़्यादा मीठा तथा कस्तूरी से बढ़कर सुगन्धित होगा। उसकी लम्बाई एवं चौड़ाई एक मास की यात्रा के समान होगी। तथा उसके आबख़ोरे (पानी पीने के प्याले) सुन्दरता एवं अधिकता में आसमान के तारों की तरह होंगे। आपके ईमान वाले उम्मती वहाँ से पानी पियेंगे। जिसने वहाँ से एक बार पी लिया, उसे कभी प्यास नहीं लगेगी।
हमारा ईमान है कि नरक पर पुलसिरात की स्थापना होगी। लोग अपने कर्मों के अनुसार उस पर से गुज़रेंगे। पहली श्रेणी के लोग बिजली की तरह गुज़र जायेंगे, फिर क्रमानुसार कुछ हवा की सी तेज़ी से, कुछ पक्षियों की तरह तथा कुछ तेज़ दौड़ने वाले पुरुषों की तरह गुज़रेंगे। और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पुलसिरात पर खड़े होकर दुआ माँग रहे होंगेः ऐ अल्लाह! इन्हें सुरक्षित रख! इन्हें सुरक्षित रख! यहाँ तक कि जब लोगों के कर्म विवश हो जायेंगे, तो वह पेट के बल रेंगते हुए गुज़रेंगे। और पुलसिरात की दोनों ओर कुंडियाँ लटकी होंगी, जिनके सम्बन्ध में आदेश होगा, उन्हें पकड़ लेंगी। कुछ लोग उनकी ख़राशों से ज़ख़्मी होकर मुक्ति पा जायेंगे तथा कुछ लोग जहन्नम में गिर पड़ेंगे।
किताब तथा सुन्नत में उस दिन की जो सूचनाएं एवं कष्टदायक यातनायें उल्लिखित हैं, उन सब पर हमारा ईमान है। अल्लाह तआला अनमें हमारी सहायता करे!
हमारा ईमान है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जन्नतियों के स्वर्ग में प्रवेश के लिए अभिस्ताव करेंगे, जो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ ख़ास होगा
जन्नत एवं जहन्नम (स्वर्ग-नरक) पर भी हमारा ईमान है
जन्नत नेमतों का वह घर है, जिसे अल्लाह तआला ने परहेज़गार मोमिनों के लिए तैयार किया है, उसमें ऐसी-ऐसी नेमतें हैं, जो न किसी आँख ने देखी है, न किसी कान ने सुनी है और न किसी मनुष्य के दिल में उनका ख़्याल ही आया है
“कोई नफ़्स नहीं जानता, जो कुछ हमने उनकी आँखों की ठंडक उनके लिए छुपा रखी है। वह जो कुछ करते थे यह उसका बदला है।”
सूरह सज्दाः 17
तथा जहन्नम कठिन यातना का वह घर है, जिसे अल्लाह तआला ने काफ़िरों तथा अत्याचारियों के लिए तैयार कर रखा है। वहाँ ऐसी भयानक यातना है, जिसका कभी दिल में खटका भी नहीं हुआ
“अत्याचारियों के लिए हमने वह आग तैयार कर रखी है, जिसकी परिधि उन्हें घेर लेगी। यदि वे आर्तनाद करेंगे, तो उनकी सहायता उस पानी से की जायेगी, जो तलछट जैसा होगा, जो चेहरे भून देगा, बड़ा ही बुरा पानी है तथा बड़ा बुरा विश्राम स्थल (नरक) है।”
सूरह अल्-कह्फ़ः 29
तथा स्वर्ग और नरक इस समय भी मौजूद हैं एवं वे सदैव रहेंगे। कभी नाश नहीं होंगे
“तथा जो व्यक्ति अल्लाह पर ईमान लाये तथा सत्कर्म करे, अल्लाह उसे ऐसे स्वर्ग में प्रवेश कर देगा, जिसके नीचे नहरें प्रवाहित हैं, जिसमें वे सदैव-सदैव रहेंगे। निःसंदेह अल्लाह ने उसे सर्वोत्तम जीविका प्रदान कर रखी है।”
सूरह अत्-तलाक़ः 11
“अल्लाह ने काफ़िरों पर धिक्कार भेजी है तथा उनके लिए भड़कती हुई अग्नि तैयार कर रखी है, जिसमें वे सदैव रहेंगे, वह कोई पक्षधर एवं सहायता करने वाला न पायेंगे। उस दिन उनके मुख आग में उल्टे-पल्टे जायेंगे। (पश्चाताप तथा खेद से) कहेंगे कि काश! हम अल्लाह तथा रसूल की आज्ञा पालन करते!”
सूरह अल्-अह़्ज़ाबः 64-66
तथा हम उन लोगों के स्वर्ग में जाने की गवाही देते हैं
जिनके लिए किताब एवं सुन्नत में नाम लेकर या विशेषतायें बताकर स्वर्ग की गवाही दी गयी है।
जिनका नाम लेकर स्वर्ग की गवाही दी गई है, उनमें अबू बक्र, उमर, उस्मान एवं अली रज़ियल्लाहु अन्हुम आदि शामिल हैं, जिन्हें नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जन्नती बताया है।
विशेषता के आधार पर स्वर्ग की गवाही देने का उदाहरण, हरेक मोमिन और मुत्तक़ी (संयमी) के लिए स्वर्ग की शुभसूचना है
हम उनसब लोगों के नारकीय होने की गवाही देते हैं,
जिनका नाम लेकर या अवगुण बयान करके किताब एवं सुन्नत ने उन्हें नारकीय घोषित किया है। जैसे अबू लहब, अम्र बिन लुह़ै अल्-ख़ुज़ाई आदि।
तथा अवगुणों के आधार पर नरक की गवाही देने का उदाहरण, हर काफ़िर, मुश्रिक अथवा मुनाफ़िक़ (द्वयवादी) के लिए नरक की गवाही देना है
और हम क़ब्र की विपत्ति एवं परीक्षा अर्थात मैयित से उसके प्रभु, उसके दीन तथा उसके नबी के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्नों पर भी ईमान रखते हैं
“अल्लाह तआला ईमानदारों को पक्की बात पर दृढ़ रखता है सांसरिक जीवन में भी तथा परलोकिक जीवन में भी। तथा अल्लाह तआला अन्याय करने वालों को भटका देता है। और अल्लाह तआला जो चाहता है, करता है।”
सूरह इब्राहीमः 27
मोमिन तो कहेगा कि मेरा प्रभु अल्लाह, मेरा दीन इस्लाम तथा मेरे नबी मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं। परन्तु, काफ़िर और मुनाफ़िक़ उत्तर देंगे कि मैं नहीं जानता, मैं तो लोगों को जो कुछ कहते हुए सुनता था वही, कह देता था
हमारा ईमान है कि क़ब्र में मोमिनों को नेमतों से सम्मानित किया जायेगा।
“वे जिनके प्राण फ़िरश्ते ऐसी अवस्था में निकालते हैं कि वह स्वच्छ तथ पवित्र हों, कहते हैं कि तुम्हारे लिए शान्ति ही शान्ति है, अपने उन कर्मों के बदले स्वर्ग में जाओ, जो पहले तुम कर रहे थे।”
सूरह अन्-नह़्लः 32
तथा अत्याचारियों और काफ़िरों को क़ब्र में यातनायें दी जायेंगी
“यदि आप अत्याचारियों को मौत की घोर यातना में देखेंगे, जब मलकुल-मौत अपने हाथ फैलाये होते हैं (और कहते हैं) कि अपने प्राण निकालो। आज तुम्हें अल्लाह पर अनुचित आरोप लगाने तथा अभिमानपूर्वक उसकी आयतों का इन्कार करने के कारण अपमानकारी प्रतिकार दिया जायेगा।”
सूरह अल्-अन्आमः 93
इस सम्बन्ध में बहुत सारी ह़दीसें भी प्रसिध्द हैं। इसलिए ईमान वालों पर अनिवार्य है कि इन परोक्ष की बातों से सम्बन्धित, जो कुछ किताब एवं सुन्नत में उल्लेख है, उस पर बिना किसी आपत्ति अभियोग के ईमान ले आयें तथा सांसारिक मामलात पर क़यास करते हुए उनका विरोध न करें। क्योंकि आख़िरत के मामलात का सांसारिक मामलात से तुलना करना उचित नहीं है। दोनों के बीच बड़ा अन्तर है।