जो लड़ने वाले नहीं हैं, उनको क़त्ल न किया जाए
‘‘किसी बूढे़, किसी बच्चे और किसी औरत को क़त्ल न करो।’’
‘‘मठों में बैठे जोगियों को क़त्ल न करो।’’ (या इबादतगाहों में बैठे हुए लोगों को न मारो।)
जंग में एक मौक़े पर हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने एक औरत की लाश देखी तो फ़रमाया, ‘‘यह तो नहीं लड़ रही थी।’’ इससे इस्लामी क़ानूनदानों ने यह उसूल मालूम किया कि जो लोग लड़ने वाले न हों उनको क़त्ल न किया जाए।