अब्दुल्लाह का फिद्या
अब्दुल मुत्तलिब चिंता में पड़ गए कि क्या करें? क़ुर्आ उनके सबसे चहेते और सबसे छोटे बेटे अब्दुल्लाह के नाम पर निकला था। अत: उन्हों ने अपनी क़ौम से सलाह लिया, तो एक काहिना (अर्थात ज्योतिषिन) ने उन्हें सलाह दिया कि वह अपने बच्चे की जान को ऊँटों के बदले छुड़ा लें। अब्दुल मुत्तलिब ने काहिना की सलाह पर अमल किया, परंतु क़ुर्आ अब्दुल्लाह ही पर निकलता था। अतः वह ऊँटों की संख्या बढ़ाते रहते थे यहाँ तक कि वे सौ की संख्या को पहुँच गए, तो उस समय क़ुर्आ ऊँटों पर निकला। अब्दुल मुत्तलिब ने अपने बेटे अब्दुल्लाह के बलिदान के बदले एक सौ ऊँट ज़ब्ह किए, और उसे गरीबों व निर्धनों में वितरित कर दिए, और अपने परिवार और जनजाति के लोगों को भी खिलाए। अब्दुल मुत्तलिब ने अपने बेटे अब्दुल्लाह की मुक्ति पर अल्लाह की प्रशंसा की। उन्हें अपनी गोद में ले लिया और अपने स्नेह और सहानुभूति से ढाँप लिया।