काम के बहाने नमाज़ को रात तक विलंब करना
हर प्रकार की प्रशंसा और स्तुति केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
मुसलमान पुरूष या मुसलमान महिला के लिए फर्ज़ नमाज़ को उसके समय से विलंब करना जायज़ नहीं है, बल्कि प्रत्येक मुकल्लफ मुसलमान पुरूष व महिला पर अनिवार्य है कि वे यथा शक्ति नमाज़ को उसके समय पर अदा करें। काम काज, उसे विलंब करने का कोई उज़्र व बहाना नहीं है, इसी तरह कपड़े अपवित्र और गंदे होना यह सब भी उज़्र नहीं है।
नामज़ के समय को काम काज से अलग रखना चाहिए, तथा नमाज़ के समय काम करने वाले पर अनिवार्य है कि वह अपने कपड़े को नापाकी से धुल ले, या उसके बदल पवित्र कपड़े पहन ले। रही बात गंदगी (मैल) की तो वह उसमें नमाज़ पढ़ने में रूकावट नहीं है यदि वह गंदगी नापाकीयों में से नहीं है, या उसमें ऐसी दुर्गंध नहीं है, जिससे नमाज़ियों को तकलीफ पहुंचे। यदि स्वयं गंदगी या उसकी दुर्गंध नमाज़ियों को तकलीफ देती तो मुसलमान पर अनिवार्य है कि नमाज़ से पहले उसे धुल ले, या उसके बदले दूससे साफ सुथरे कपड़े पहन ले ताकि वह जमाअत के साथ नमाज़ अदा कर सके।
तथा शरई तौर पर माज़ूर (क्षम्य) व्यक्ति जैसे बीमार और यात्री के लिए ज़ुहर और अस्र की नमाज़ को उन दोनों में से किसी एक के समय में, तथा मग्रिब और इशा को उन दोनों में से किसी एक के समय में एकत्र करके पढ़ना जायज़ है। जैसाकि इस बारे में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से सही हदीस प्रमाणित है। इसी तरह उस बारिश और कीचड़ में जो लोगों के लिए कठिनाई और कष्ट का कारण हो, दो नमाज़ों को एकत्र करके पढ़ना जायज़ है।