जवाबदेही और ज़िम्मेदारी का एहसास
एकेश्वरवाद को मानने का मतलब यह है कि यह माना जाए कि अल्लाह ने इन्सान को पैदा किया और उसकी ज़िन्दगी को दो हिस्सों में बांटा—मौत से पहले की ज़िन्दगी (Pre-death Life) और मौत के बाद की ज़िन्दगी (Post-death Life) और इनके बीच में मौत (Death) को रखा। पहली ज़िन्दगी परीक्षा के लिए है और यह अस्थायी और क्षण-भंगुर है और दूसरी ज़िन्दगी सज़ा या इनाम के लिए है और वह हमेशा रहने वाली है और दोनों के बीच मौत एक स्थानान्तरण (Transit) है।
अल्लाह है, देख रहा है और उसका सामना करना है। वह इन्सान के विचारों को अवचेतन में, इन्सान की बातों को आवाज़ की लहरों में और इन्सान के कामों को ऊर्जा की लहरों के रूप में रिकॉर्ड कर रहा है।
यह मानना इन्सान में ज़िम्मेदारी और जवाबदेही का एहसास पैदा करता है और वह दूसरों का भला चाहने और हक़ और अधिकार देने वाला और अन्याय और अत्याचार न करने वाला बनता है।
• अल्लाह के रसूल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा—
‘‘परलोक (आख़िरत) में हर आदमी को चार सवालों का जवाब देना होगा: ज़िन्दगी कहां गुज़ारी? जवानी कहां गुज़ारी? दौलत कैसे कमाई? दौलत कहां ख़र्च की?’’