उस व्यक्ति का हुक्म जिसने जमरात को कंकरी मारी फिर अपने देश में जाकर उसके लिए यह स्पष्ट हुआ कि वह सात कंकरी से कम थीं
हर प्रकार की प्रशंसा और स्तुति केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
विद्वानों के बीच इस बारे में कोई मतभेद नहीं है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जमरात को सात कंकरियां मारीं, और यही आपका तरीक़ा है, इस बात में कोई संदेह नहीं है।
इब्नुल क़ैयिम रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
“अब्दुल्लाह बिन अब्बास, जाबिर बिन अब्दुल्लाह और अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुम की हदीस से, अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से शुद्ध रूप से प्रमाणित है कि आप ने जमरह को सात कंकरियां मारी हैं।” अंत हुआ।
“हाशिया इब्नुल क़ैयिम अला मुख्तसर सुनन अबी दाऊद” (5/312)
विद्वानों ने उस आदमी के हुक्म के बारे में बहुत मतभेद किया है जिसने हज्ज में जमरात को कंकरी मारने की संख्या में कमी कर दी, इस मुद्दे में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है जिसकी ओर मतभेद को समाप्त करने के लिए लौटा जा सके।
“अल-मौसूअतुल फिक्हिय्या” (17/80, 81) में आया है :
शाफईया और हनाबिला का मत यह है कि जिस व्यक्ति ने पूरी तरह से कंकरी मारना छोड़ दिया, या एक दिन या दो दिन की कंकरी मारने को छोड़ दिया, और या किसी भी जमरह को कंकरी मारने में तीन कंकरियाँ छोड़ दी, तो उस के ऊपर दम अनिवार्य है।
शाफईया के निकट एक कंकरी में : एक मुद्द अनिवार्य है, और दो कंकरी में : उसके दो गुना अनिवार्य है।
तथा हनाबिला के निकट एक कंकरी या दो कंकरी के बारे में कई रिवायतें हैं।
“अल-मुग़्नी” में आया है कि : इमाम अहमद से प्रत्यक्ष कथन यह है कि एक कंकरी, या दो कंकरी में कोई चीज़ अनिवार्य नहीं है।
जबकि अहनाफ इस बात की ओर गए हैं कि : अगर हाजी ने चारों दिनों में सभी जमरात को कंकरियाँ मारना छोड़ दिया, या किसी दिन की पूरी कंकरी मारना छोड़ दिया तो उसके ऊपर एक दम (क़ुर्बानी) अनिवार्य है। तथा इसी के साथ किसी दिन की अधिकतर कंकरियां छोड़ देने को भी मिलाया जायेगा, क्योंकि अक्सर का हुक्म पूरे का भी होता है, अतः उसमें भी दम अनिवार्य होगा। किंतु अगर उसने एक दिन की कंकरियों में से कमतर हिस्से को छोड़ दिया है तो उसके ऊपर सद्क़ा करना अनिवार्य है, प्रति एक कंकरी के लिए आधा साअ़ गेंहूं या एक साअ़ खजूर या जौ अनिवार्य है।
तथा मालिकिया का मत यह है कि : एक कंकरी छोड़ने, या सभी कंकरियाँ छोड़ने में उसके ऊपर एक दम अनिवार्य है।” अंत हुआ।
और हमारे लिए जो बात स्पष्ट होती है - जबकि अल्लाह तआला ही बेहतर ज्ञान रखने वाला है – वह यह है कि यदि उसे यक़ीन है कि उसने एक जमरह से तीन या उससे अधिक कंकरियाँ छोड़ी हैं, तो वह किसी को वकील बना देगी जो उसकी तरफ़ से मक्का में एक बकरी ज़ब्ह करे और उसे हरम के गरीबों में वितरित कर दे, और यदि उसे यक़ीन नहीं है तो उसके ऊपर कुछ भी अनिवार्य नहीं है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।