एतिकाफ रमज़ान में और रमज़ान के अतिरिक्त अन्य दिनों में भी धर्म संगत है
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
एतिकाफ प्रत्येक समय सुन्नत है, चाहे वह रमज़ान हो या उसके अलावा अन्य दिन हो, किन्तु वह रमज़ान में सर्वश्रेष्ठ है, और सबसे अधिक बल रमज़ान के अंतिम दस दिनों में एतिकाफ करने पर दिया गया है।
और इस बात पर एतिकाफ के मुस्तहब होने के सामान्य प्रमाण तर्क स्थापित करते हैं, क्योंकि वे रमज़ान और उसके अलावा अन्य सभी समयों को सम्मिलित हैं। तथा प्रश्न संख्या (48999) भी देखिये।
इमाम नववी अपनी किताब अल-मजमू’ (6/501) में कहते हैं :
"एतिकाफ इजमा’ (यानी मुसलमानों की सर्व सहमति) के साथ सुन्नत है, तथा इस बात पर इजमा (सर्व सहमति) है कि वह केवल नज़्र के द्वारा ही अनिवार्य होता है, और उसे अधिक से अधिक करना मुसतहब है, तथा रमज़ान के महीने के अंतिम दस दिनों में एतिकाफ करना मुस्तहब है और उसका मुस्तहब होना सुनिश्चित है।" (नववी की बात समाप्त हुई)
तथा नववी एक अन्य स्थान (6/514) पर फरमाते हैं :
"सब से श्रेष्ठ एतिकाफ वह है जो रोज़े के साथ हो, और उस में भी सर्वश्रेष्ठ एतिकाफ रमज़ान के महीने में है, और उस में (अर्थात रमज़ान के महीने में) भी सबसे बेहतर एतिकाफ उसके अंतिम दस दिनों में है।" (नववी की बात समाप्त हुई).
अल्लामा अल्बानी अपनी किताब "क़ियामो रमज़ान" में फरमाते हैं :
"एतिका करना रमज़ान में और उसके अलावा साल के अन्य दिनों में सुन्नत है, और इस विषय में असल (मूल प्रमाण) अल्लाह तआला का यह फरमान है : "जब तुम मस्जिदों में एतिकाफ़ में हो।" (सूरतुल बक़रा : 187), साथ ही साथ आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के एतिकाफ करने के बारे में सहीह हदीसे वर्णित हैं, तथा इसके बारे में सलफ सालिहीन (पूर्वजों) से तवातुर (निरंतरता) के साथ आसार (घटनायें और वाक़यात) वर्णित हैं . . .
तथा यह बात भी प्रमाणित है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने शव्वाल के दस दिनों का एतिकाफ किया। (सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम)
तथा उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कहा : मैं ने जाहिलियत (यानी इस्लाम से पूर्व अज्ञानता) के समय काल में मस्जिदे हराम के अंदर एक रात एतिकाफ करने की नज़्र मानी थी। तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "तुम अपनी नज़्र पूरी करो।" तो उन्हों ने एक रात एतिकाफ किया। (सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम)
तथा सबसे अधिक सुदृढ़ और महत्वपूर्ण रमज़ान के महीने में एतिकाफ करना है, क्योंकि अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस है कि "अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम प्रत्येक रमज़ान में दस दिनों का एतिकाफ करते थे, किन्तु जिस वर्ष आप का स्वर्गवास हुआ, आप ने बीस दिनों का एतिकाफ किया था।" इस हदीस को बुखारी ने रिवायत किया है . .
और उस में सब से अफज़ल रमज़ान के अंतिम दिन हैं, क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रमज़ान के अंतिम दस दिनों का एतिकाफ किया करते थे यहाँ तक कि अल्लाह तआला ने आपको मृत्यु दे दी। (सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम). संछेप और संशोधन के साथ समाप्त हुआ।
तथा शैख इब्ने बाज़ ने मजमूउल फतावा (15/437) में फरमाया :
"इस बात में कोई शक नहीं कि मस्जिद में एतिकाफ करना अल्लाह तआला की निकटता के कामों में से एक काम (नेकी) है, और रमज़ान के महीने में एतिकाफ करना अन्य दिनों से श्रेष्ठतर है . . और वह रमज़ान में और रमज़ान के अलावा अन्य दिनों में (भी) धर्म संगत है।" (संछेप के साथ समाप्त हुआ).
देखिये : डॉक्टर खालिद अल-मुशैक़िह की किताब "फिक़्हुल एतिकाफ" पृष्ठ संख्या : 41.