किताबों पर ईमान | जानने अल्लाह

किताबों पर ईमान


मुह़म्मद बिन सालेह अल-उसैमीन

हमारा ईमान है कि

जगत पर ह़ुज्जत क़ायम करने तथा अमल करने वालों को रास्ता दिखाने के लिए अल्लाह तआला ने अपने रसूलों पर किताबें नाज़िल फ़रमाईं। पैग़म्बर इन किताबों के द्वारा लोगों को धर्म की शिक्षा देते तथा उनके दिलों की सफ़ाई करते थे।

और हमारा ईमान है कि अल्लाह तआला ने हर रसूल के साथ एक किताब नाज़िल फ़रमाई। इसकी दलील अल्लाह तआला का यह फरमान हैः

“निःसंदेह हमने अपने पैग़म्बरों को खुली निशानियाँ देकर भेजा और उनपर किताब तथा न्याय (तुला) नाज़िल की, ताकि लोग न्याय पर क़ायम रहें।”

सूरह अल्-ह़दीदः 25

हमें उनमें से निम्नलिखित किताबों का ज्ञान है

1-तौरात

इसे अल्लाह तआला ने मूसा अलैहिस्सलाम पर नाज़िल किया और यह किताब बनी इस्राईल में सबसे मुख्य किताब थी

“हमने नाज़िल किया तौरात को, जिसमें मार्गदर्शन एवं ज्योति है। यहूदियों में इसी तौरात के साथ अल्लाह तआला के मानने वाले अम्बिया (अलैहिमुस्सलाम), अल्लाह वाले और उलेमा फ़ैस्ले करते थे। क्योंकि उन्हें अल्लाह की इस किताब की रक्षा करने का आदेश दिया गया था और वह इसपर गवाह थे।”

सूरह अल्-माइदाः 44


2-इन्जीलः

इसे अल्लाह तआला ने ईसा अलैहिस्सलाम पर नाज़िल किया और यह तौरात की पुष्टि करने वाली एवं सम्पूरक थी।

“और हमने उनको (ईसा अलैहिस्सलाम को) इन्जील प्रदान की, जिसमें मार्गदर्शन एवं ज्योति है तथा वह अपने से पूर्व किताब तौरात की पुष्टि करती है तथा वह परहेज़गारों (संयमियों) के लिए मार्गदर्शन एवं सदुपदेश है।”

सूरह अल्-माइदाः 46

“और मैं इसलिए भी आया हूँ कि कुछ चीज़ें, जो तुमपर ह़राम कर दी गई थीं, तुम्हारे लिए ह़लाल कर दूँ।”

सूरह आले इम्रानः 50


3-ज़बूरः

इसे अल्लाह तआला ने दाऊद अलैहिस्सलाम पर उतारा।

4-इब्राहीम अलैहिस्सलाम और मूसा अलैहिस्सलाम अलैहिस्सलाम के सह़ीफ़े।
  5- क़ुर्आन मजीदः

इसे अल्लाह तआला ने अपने आख़री नबी मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर नाज़िल किया।

“जो लोगों के लिए मार्गदर्शन है तथा इसमें मार्गदर्शन की निशानियाँ हैं एवं सत्य तथा असत्य में अन्तर करने वाला है।”

सूरह अल्-बक़राः 185

“जो अपने से पूर्व की किताबों की पुष्टि करने वाली तथा उन सबका रक्षक है।”

सूरह अल्-माइदाः 48

अल्लाह तआला ने पवित्र क़ुर्आन के द्वारा पिछली तमाम किताबों को मन्सूख़ (निरस्त) कर दिया तथा उसे खिलवाड़ियों के खेल एवं फेर-बदल करने वालों के टेढ़ेपन से सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी स्वयं ली है।

“निःसंदेह हमने ही इस क़ुर्आन को उतारा है तथा हम ही इसके रक्षक हैं।”

सूरह अल्-ह़िज्रः 9

क्योंकि यह क़यामत तक तमाम सृष्टि पर ह़ुज्जत बनकर क़ायम रहेगा

जहाँ तक पिछली आसमानी किताबों का संबंध है, तो वह एक निर्धारित समय तक के लिए थीं और उस समय तक बाक़ी रहती थीं, जब तक उन्हें मन्सूख़ (निरस्त) करने वाली तथा उनमें होने वाले फेर-बदल को स्पष्ट करने वाली किताब न आ जाती थी। इसी लिए (पवित्र क़ुर्आन से पूर्व की) कोई किताब फेर-बदल तथा कमी-बेशी से सुरक्षित न रह सकी

“यहूदियों में से कुछ ऐसे हैं, जो कलिमात को उसके उचित स्थान से उलट-फेर कर देते हैं।”

सूरह अन्-निसाः 46

“उन लोगों के लिए सर्वनाश है, जो अपने हाथों की लिखी हुई किताब को अल्लाह तआला की ओर से उतरी हुई कहते हैं और इस प्रकार दुनिया कमाते हैं। उनके हाथों की लिखाई को और उनकी कमाई के लिए बर्बादी और अफ़्सोस है।”

सूरह अल्-बक़राः 79

कह दीजिए कि वह किताब किसने नाज़िल की है, जिसको मूसा अलैहिस्सलाम लाये थे, जो लोगों के लिए प्रकाश तथा मार्गदर्शक है, जिसे तुमने उन अलग-अलग पेपरों में रख छोड़ा है, जिनको वयक्त करते हो और बहुत सी बातों को छुपाते हो।

सूरह अल्-अन्आमः 91

अवश्य उनमें से ऐसा गिरोह भी है, जो किताब पढ़ते हुए अपनी जीभ मोड़ लेता है, ताकि तुम उसको किताब ही का लेख समझो, हालाँकि वह किताब में से नहीं है, और यह कहते भी हैं कि वह अल्लाह की ओर से है, हालाँकि वह अल्लाह की ओर से नहीं, वह तो जान-बूझकर अल्लाह पर झूठ बोलते हैं। किसी ऐसे पुरुष को, जिसे अल्लाह किताब, विज्ञान और नुबूअत प्रदान करे, यह उचित नहीं कि फिर भी वह लोगों से कहे कि अल्लाह को छोड़कर मेरे भक्त बन जाओ।

सूरह आले इम्रानः 78-79

हे अह्ले किताब! तुम्हारे पास हमारे रसूल (मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) आ गये, जो बहुत सी वह बातें बता रहे हैं, जो किताब (तौरात तथा इन्जील) की बातें तुम छुपा रहे थे तथा बहुत सी बातों को छोड़ रहे हैं। तुम्हारे पास अल्लाह की ओर से ज्योति तथा खुली किताब (पवित्र क़ुर्आन) आ चुकी है। जिसके द्वारा अल्लाह उन्हें शान्ति का पथ दिखाता है, जो उसकी प्रसन्नता का अनुकरण करें। तथा उन्हें अन्धकार से, अपनी कृपा से प्रकाश की ओर निकाल लाता है तथा उन्हें सीधा मार्ग दर्शाता है। निःसंदेह वह लोग काफिर हो गये, जिन्होंने कहा कि मर्यम का पुत्र मसीह अल्लाह है।

सूरह अल्-माइदाः 15-17


Previous article Next article

Related Articles with किताबों पर ईमान

  • अक़ीदा के लाभ एवं प्रतिकार

    मुह़म्मद बिन सालेह अल-उसैमीन

    इन महान नियमों पर आधारित यह उच्च अक़ीदा अपने मानने वालों के लिए अति श्रेष्ठ प्रतिफल एवं परिणामों का वाहक है।

    12/04/2018 5171
  • क्रोधी पत्नी

    Site Team

    मेरी पत्नी शीघ्र उत्तेजित हो जाने वाली है, वह मुझसे, और बच्चों तथा किसी भी व्यक्ति से जल्दी गुस्सा हो जाती है,

    01/09/2013 2130
  • इफ्तार के समय रोज़ेदार की दुआ

    Site Team

    जब हम रोज़ेदार हों तो रोज़ा खोलते समय कौन सी दुआ पढ़ें ? हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य

    17/11/2013 2313
जानने अल्लाहIt's a beautiful day