बिसिमल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अल्लाह के नाम से आरम्भ करता हूँ जो अति मेहरबान और दयालु है।
सम्पूर्ण इस्लाम जिसके साथ अल्लाह तआला ने अपने संदेश्वाहक मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को भेजा है वह पांच स्तम्भों पर आधारित है, कोर्इ मनुष्य उस समय तक पक्का और सच्चा मुसलमान नहीं हो सकता जब तक कि वह उन पर र्इमान न ले आए (विश्वास न रखे) उनकी अदायगी न करे और उन पर कार्य बद्ध न हो, वह निम्नलिखित हैं :
1- इस बात की गवाही (साक्ष्य) दे कि अल्लाह के अतिरिक्त कोर्इ अन्य पूज्य नहीं है और यह कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के संदेश्वाहक हैं।
2- नमाज़ क़ार्इम करे।
3 - ज़कात (अनिवार्य धर्म-दान) दे।
4 - रमज़ान के महीने का रोज़ा रखे।
5 - अल्लाह के पवित्र घर (काबा) का हज्ज करे यदि वहां तक पहुंचने का सामर्थ्य रखता हो।
इन पांचों स्तम्भों में से प्रत्येक स्तम्भ की आगे सनिछप्त व्याख्या की जा रही है :