भाईयों और बहनों के अधिकार | जानने अल्लाह

भाईयों और बहनों के अधिकार


Site Team

आदमी पर भाईयों, बहनों और माता पिता के अधिकार क्या हैं ?

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

भाई और बहन उन संबंधों (रिश्तों) में से हैं जिसे जोड़ने का शरीअत ने आदेश दिया है। अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : ‘‘अल्लाह तआला फरमाता है : मैं रहमान (अत्यंत दयालु) हूँ और इस रहिम (रिश्ते) के लिए मैं ने अपने नाम (रहमान) से एक नाम निकाला है, अतः जो इसे जोड़ेगा तो मैं उसे जोड़ूँगा और जो इसे काटेगा मैं भी उससे संबंध विच्छेद कर लूँगा।” इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 1907) और अबू दाऊद (हदीस संख्या : 1694) ने रिवायत किया है, और अल्बानी ने ‘‘अस्सिलसिलतुस सहीहा” (हदीस संख्या : 520) में सहीह कहा है, तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : ‘‘जिसे यह बात पसंद है कि उसकी आयु बढ़ा दी जाय और उसकी रोज़ी में विस्तार कर दी जाय तो उसे अपने रिश्तों को जोड़ना चाहिए।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 1961) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2557) ने रिवायत किया है।

तथा उनके और अन्य मुसलमानों के बीच संयुक्त अधिकारों में से, परंतु उनका अधिकार महत्वपूर्ण है, यह है कि : जब तुम उनसे मुलाक़ात करो तो उनसे सलाम करो, जब वे तुम्हें आमंत्रण दें तो उसे स्वीकार करो, और जब उन्हें छींक आए (और वे अल्हमदुलिल्लाह कहें) तो तुम यर-हमुकल्लाह कहो। और जब वे बीमार हों तो तुम उनकी ज़ियारत करो, और जब उनकी मृत्यु हो जाए तो तुम उनके जनाज़ा में उपस्थित हो, और जब वे आपके ऊपर क़सम खा लें तो तुम उनकी क़सम को पूरा करो, और जब वे आप से नसीहत तलब करें तो तुम उन्हें नसीहत करो, और जब वे तुम से गायब हों तो अनुपस्थिति में उनकी सुरक्षा करो, और तुम उनके लिए वही चीज़ पसंद करो जो अपने लिए पसंद करते हो और उनके लिए वह चीज़ नापसंद करो जो अपने लिए नापसंद करते हो। ये सभी चीज़ें सही हदीसों में वर्णित हैं।

उन्हीं अधिकारों में से यह भी है कि : वह उन में से किसी को अपने कर्म और कथन से कष्ट न पहुँचाए, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “मुसलमान वह व्यक्ति है जिसकी ज़ुबान और हाथ से मुसलमान सुरक्षित रहें।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 10) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 40) ने रिवायत किया है, तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक लंबी हदीस में गुणों और विशेषताओं का आदेश देते हुए फरमाया : ‘‘यदि तुम इस (काम) पर सक्षम न हो तो लोगों को बुराई से दूर रखो, क्योंकि यह एक सदक़ा है जो तुम अपने ऊपर करोगे।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 2382) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 84) ने रिवायत किया है।

 

और अल्लाह तआलस सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
Previous article Next article

Related Articles with भाईयों और बहनों के अधिकार

जानने अल्लाहIt's a beautiful day